क्षणिकाएं – ११

क्षणिकाएं११

 

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रात बोझिल है, चांद मद्धम है

एक तारे के टूट जाने का गम है।

बेकल तुम हो, तनहा हम हैं

फिर भी बात करने को शब्द कम हैं।।

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जिंदगी चले चले, वक्त चलता रहेगा

कारवां बने बने ये मुसाफिर बढ़ता रहेगा

वक्त का दरिया किसके लिए कब रुका है

पहले भी चलता था आगे भी चलता रहेगा।।

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 नाफ़रमानियों के दौर अभी ख़तम होंगे

गुस्ताखीयों के सिलसिले अभी और भी चलेंगे

जो कहते हैं बुझ गया है शोला मेरे दिल का

हाथ जल गए तो इल्ज़ाम क्या मुझ पे  ही धरेंगे।।

आभारनवीन पहल१४.०७.२०२२ 🙏❤️🌹💐

# नॉन स्टॉप 2022 

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8 Comments

Saba Rahman

16-Jul-2022 11:17 PM

😊😊😊

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Chudhary

16-Jul-2022 10:09 PM

😊😊

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Rahman

16-Jul-2022 10:01 PM

OSM👏👏

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