क्षणिकाएं – ११
क्षणिकाएं
– ११
(१)
रात
बोझिल है, चांद मद्धम
है
एक तारे के टूट
जाने का गम है।
बेकल
तुम हो, तनहा हम
हैं
फिर भी बात करने को शब्द कम हैं।।
(२)
जिंदगी
चले न चले, वक्त
चलता रहेगा
कारवां
बने न बने ये
मुसाफिर बढ़ता रहेगा
वक्त
का दरिया किसके लिए कब रुका
है
पहले भी चलता था आगे भी चलता रहेगा।।
(३)
गुस्ताखीयों
के सिलसिले अभी और भी
चलेंगे
जो कहते हैं बुझ
गया है शोला मेरे
दिल का
हाथ जल गए तो इल्ज़ाम क्या मुझ पे ही धरेंगे।।
आभार
– नवीन पहल – १४.०७.२०२२ 🙏❤️🌹💐
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Saba Rahman
16-Jul-2022 11:17 PM
😊😊😊
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Chudhary
16-Jul-2022 10:09 PM
😊😊
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Rahman
16-Jul-2022 10:01 PM
OSM👏👏
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